- फेलिसिटी थिएटर इंदौर में "हमारे राम" प्रस्तुत करता है
- जेएसडब्ल्यू ग्रुप के चेयरमैन सज्जन जिंदल को एआईएमए मैनेजिंग इंडिया अवार्ड्स में मिला 'बिजनेस लीडर ऑफ डिकेड' का पुरस्कार
- उर्वशी रौतेला 12.25 करोड़ रुपये में रोल्स-रॉयस कलिनन ब्लैक बैज खरीदने वाली पहली आउटसाइडर इंडियन एक्ट्रेस बन गई हैं।
- Urvashi Rautela becomes the first-ever outsider Indian actress to buy Rolls-Royce Cullinan Black Badge worth 12.25 crores!
- 'मेरे हसबैंड की बीवी' सिनेमाघरों में आ चुकी है, लोगों को पसंद आ रहा है ये लव सर्कल
खुद बैठे महलों में भगवान को बिठाया सड़कों पर

इंदौर. नेहरू पार्क में अखंड संडे द्वारा आयोजित 1124वें मुशायरे में कवियों ने वर्तमान परिवेश में घट रही घटनाओं को छंदमुक्त रचनाओं में पिरोकर अभिव्यक्त किया.
केरल, उत्तराखंड और देश के कई हिस्सों में भारी बारिश से बेघर हुए लोग, भूख से बिलखते बच्चों का दर्द, कई हिस्सों में सूखा पडऩे की व्यथा, बेटियों के साथ हो रहे अत्याचार को रामनाथ मालवीय ने अपने शब्दों में बयां किया. कैसे गाऊँ गीत प्रेम के… जिस देश के बच्चे भूखे हो… हरियाली के मौसम में पेड़ जब सूखे हो… गगन ओढऩा, सड़क बिछौना हवा चले तू$फानी… भटक रही है मासूम जवानी… आशाओं के बांध टूटते और हवेली हँसती हो… तन पर कपड़ा नहीं किसी के… तरस रहे हैं रोटी को… जहाँ भेडिय़े नोच रहे हो बेटियों को… ऐसे में कैसे गाऊँ गीत प्रेम के ययय गौरव गागर ने पाई पाई की कीमत मालूम हो गई, जब कमाने निकले अपने पैरों पर पंक्तियाँ भी सराही गई.
पंकज जैन ने शेर – निगाहों का कहा हमेशा सच्चा नहीं होता / हर खूबसूरत शख़्स अंदर से अच्छा नहीं होता. उनका यह शेर भी सराहा गया – जि़ंदगी जब दर्द से रूला देती है / तब वो मेरे ज़ख्मों की दवा देती है. अशफाक हुसैन की तंज़ करती हुई पंक्तियां भी सोचने पर विवश करती है- खुद बैठे महलों में भगवान को बिठाया सड़कों पर… धूप , धुंए , धूल के बदले सोचो वो तुम्हें क्या देगा?
मुकेश इन्दौरी ने गज़ल – अपनी किस्मत की लकीरों को इशारा न मिला…. कोई जुगनू कोई मोती कोई तारा न मिला.,, जिनका बचपन गुज़रा था मेरी बाँहों में कभी… इस बुढ़ापे में मुझे उनका सहारा न मिला सुनाकर दाद बटोरी. इसके साथ मालवी कवियत्रि कुसुम मंडलोई ने मालवी लोकगीत आनंद भयो नंद घरे बधाईगीत सुनाकर मालवी बोली की मिठास से समूचे वातावरण को खुशगंवार बना दिया.
राधेश्याम यादव, अनूप सहर, मदनलाल अग्रवाल, वीर छाबड़ा, रामआसरे पांडे, रमेश धवन, श्याम बाघौरा, हरि यादव, जितेन्द्र शिवहरे, राहुल मिश्रा, अंकुर अग्रवाल, अनिता सेरावत, हंसा मेहता, श्रुति मुखिया आदि ने भी सुहानी शाम को काव्यमयी बनाया. संचालन मुकेश इन्दौरी ने किया. आभार दिनेशचंद्र तिवारी ने माना.